Monday 4 August, 2008

मेरी स्वरचित कविता

क्या खोया क्या पाया इन बीते सालो में
यह सोच सोच कर वक्त गँवाया बीते सालो में॥

आखिर मै ही क्यों इस दुर्भाग्य का ग्रास।
जवाब नहीं था इसका कोई मेरे पास ॥

हर बार शंखनाद को क्यों नही बदल पाया जयघोष में।
शायद संयम खो दिया मैंने जोश में ॥

जो भग्य में नही उसे पाने का मिथ्या प्रयास था।
या यूं कहूँ कि मेरे मन का झूठा खयाल था ॥

अब सोचता हूँ कि क्यों पडा है भाग्य और भूत के जालो में।
जब सामने खडा है आने वाला कल उजालो में॥

Sunday 27 July, 2008

मेरे विचार

पिछ्ले पोस्ट कि बात को आगे बडाते हुए
"विदेशी भाशा का विधारथी होना बुरा नहीं पर अपनी भाशा सर्वोपरि है।"
यह कथन मेरे नही हमारे राश्ट्र पिता महात्मा गांधी जी के है। जी हां हर भाशा का सम्मान करना चाहिये पर सर्वप्रथम अपनी
राश्ट्र भाशा का ग्यान होना चाहिये एक पेड कि कल्पना कीजिये उस पेड कि जडे जितनी गहरी होगी वो उतना हि विकसित और बडा होगा उसी प्रकार प्रकार अगर हमारी मात्र भाशा का ग्यान होगा तो किसी और भाशा को सीखने मे भी उतनी ही आसानी होगी और् हम उतना ही विकास करेगे। मै स्वयं IT सेक्टर की wipro क्म्पनी मे हू और अंग्रेजी भाशा का ग्यान होना आवश्यक है पर इस्का मतलब ये नही कि मै अप्नी भाशा का सम्मान न करु सच कहु तो जब भी अत्यधिक खुश या दुखी होता हु तो अनायास हि मन के उदगार हिन्दी मै हि आते है शायद हिन्दी से मै दिल से जुडा हुआ हू इसीलिये।
अन्त मै यही कहूगा कि चाहे जहा हो चाहे जो भी भाशा सीखो पर पर हिन्दी को दिल से मत निकालना ये मेरा आपसे अनुरोध है।
आप्क विचारों का स्वागत है।

Thursday 24 July, 2008

हिन्दी

निज भाशा उन्नति अहॆ सब उन्नति को मूल
बिनु निज भाशा के मिटॆ न हिय को शूल।

यह वाक्य भारतेन्दु बाबा हरिशचन्द्र जी के है जो यहि बखान करते है की हिन्दी जो हमारी राश्ट्र भाशा है उसकी उन्नती के साथ ही हमारी उन्नती सम्भ्व है, आजकल लोग अंग्रेजी भाशा बोलने वालो को समाज मे पडा लिखा और समान्न की द्रश्ती से देख्ते है वो पद हिन्दी को क्यो नहीं जबकी यह तो हमारी राश्ट्र भाशा है । लोग यह बहाना बनाते हुए दिखते है कि अंग्रेजी अन्तराश्ट्रीय भाशा है जबकि पुरे विश्व मे सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाशा तो चीनी है और अन्य राश्ट्र जॆसॆ रुस, चीन, जापान, फ़्रांस आदि विदेश यात्रा पर केवल अपनी भाशा हि बोलते है जब्कि भारतीय नेता अग्रजी का एस्तमाल करते है माननीय पूर्व प्रधानमत्री अटल बिहारी जी ने संयुक्त राश्त्र संघ मे हिन्दी मे भाशण दे कर एक नयी मिसाल रखी है जिस्का हमे अनुसरण करना चाहिये।

अगर आप अपने विचार रखना चाहे तो आपका स्वागत है

Tuesday 22 July, 2008

संसद में दिखाई नोटों की गड्डिया

नई दिल्ली। राजग सांसदों ने मंगलवार को संप्रग सरकार पर खरीद-फरोख्त के गंभीर आरोप लगाते हुए लोकसभा में नोटों की गड्डियां लहराई। इसके बाद सदन में हंगामा मच गया और उसकी कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।

संसद में विश्वास मत में बहस के दौरान उस समय हंगामा मच गया जब मप्र के मुरैना से सांसद अशोक अर्गल ने सदन में नोटों की गड्डियां लहराना शुरू कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह धन उन्हे संप्रग सरकार के पक्ष में मत देने के लिए दिया गया है। उनके इस आरोप के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और सभी सांसद अध्यक्ष के कुर्सी के पास जमा हो गए। इसके बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।

समय





Monday 21 July, 2008

भारत्त अमेरिका परमानु करर

ैइस विश्य पर अपने विचार रखे

सिद्धू को हिंदी रत्न सम्मान

नई दिल्ली। जाने माने क्रिकेटर, समीक्षक और कमेंटेटर नवजोत सिंह सिद्धू को एक अगस्त को राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती पर हिंदी का देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करने के लिए 11 वें 'हिंदी रत्न सम्मान' से सम्मानित किया जाएगा।
हिंदी भवन के सूत्रों के अनुसार नवजोत सिंह सिद्धू को एक अगस्त को राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जयंती पर हिंदी को देश-विदेश में प्रचार व प्रसार करने के लिए 11 वें 'हिंदी रत्न सम्मान' से सम्मानित किया जा रहा है।

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